Search This Blog

Thursday, January 2, 2020

क्या हिंदू आतंकी : काव्याक्रोश

क्या हिंदू आतंकी : काव्याक्रोश


सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"

 विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
पूर्व सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल “वैज्ञनिक” ISSN 2456-4818
 मो.  09969680093
  - मेल: vipkavi@gmail.com  वेब:  vipkavi.info वेब चैनलvipkavi
ब्लाग: freedhyan.blogspot.com,  फेस बुक:   vipul luckhnavi “bullet"

जन है बांटे मन हैं बांटे, देश की धरती बांटी है।

भारत में हिंदू गर बोलो आतंक की परिपाटी है॥


हिंदू कोई जाति नहीं न छोटी न ये आराजकता है।

ये भारत का सत्य सनातन हिंद देश की सभ्यता है॥

ज्ञान सम्मान भूमि की पूजा गंगा की यह माटी है।

भारत में हिंदू गर बोलो आतंक की परिपाटी है॥


जिसने हिंद में जनम लिया और नमक देश का खाया है।

वो हिन्दू है हिंद का बेटा जग में वो कहलाया है॥

हिंद से हिंदू जनम हुआ है हिंदी कितनी मदमाती है।

भारत में हिंदू गर बोलो आतंक की परिपाटी है॥


महावीर और बुद्ध की धरती अहिंसा का उपदेश दिया।

सत्य ज्ञान जीवन को जानो ये ही तो संदेश दिया॥

पर कुछ नालायक हैं बेटे बात समझ न आती है।

भारत में हिंदू गर बोलो आतंक की परिपाटी है॥


बिना वजह हिंदू आतंकी हिंदू आतंक नाम दिया।

राजनीति वोटों की खातिर हिंदू को बदनाम किया॥

बिना वजह संतो को फांसा मौत की हल्दीघाटी है।

भारत में हिंदू गर बोलो आतंक की परिपाटी है॥


है स्वर्णिम इतिहास देश का पर लुटेरों ने भी राज किया।

हिंदू का इतिहास सुनहरा उसको मटियामेट किया॥  

देश को लूटा अब कैसे लूटे यही चिंता बाकी है।

भारत में हिंदू गर बोलो आतंक की परिपाटी है॥


हिंदू मतलब विश्व है अपना शांति भाषा बोली है।

मानवजाति भाई भाई प्रेम की भाषा बोली है॥

विपुल गर्व से हिंदू बोलो भाषा यही सुहाती है।

भारत में हिंदू गर बोलो आतंक की परिपाटी है॥


MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।"  सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
ब्लाग :  https://freedhyan.blogspot.com/

No comments:

Post a Comment