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Monday, January 20, 2020

कितने छोटे यह होते

कितने छोटे यह होते 



 

 

देवीदास विपुल उर्फ  

विपुल सेन “लखनवी”

 नवी मुंबई 

कितने छोटे यह होते हैं ऊंचे दिखते छोटे लोग।

आभासी दुनिया पर लड़ते ऊंचे दिखते छोटे लोग।।

दावा करते सत्य जानते जगत को मिथ्या मानें हैं।

किंतु जब व्यवहारिक होता लड़ जाते हैं छोटे लोग।।

बातें करते बड़ी बड़ी और ज्ञान बांटते वेदों का।

और न जाने सत्य बड़ा है सत्य न जाने छोटे लोग।।

हंसी मुझे आती है इन पर दिखलावा करते रहते।

नहीं प्रचार सनातन करते खुद मिट जाते छोटे लोग।।

चलो विपुल अब करो किनारा तुमको पार उतरना है।

नौका तेरी प्रभु हवाले कर क्यों चिंता छोटे लोग।।

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