अहंकार का अहंकार
कवि विपुल लखनवी के
उल्टे दोहे
अहंकार को जानिये, अहंकार है मंत्र।
अहंकार को जान लो, झूठ भये सब तंत्र॥
अहंकार को जान लो, झूठ भये सब तंत्र॥
अहंकार ही मूल है अहंकार आकार।
अहंकार जो लिप्त हैं, वे उतरेंगे पार॥
अहंकार जो लिप्त हैं, वे उतरेंगे पार॥
अहंकार जो गल गया, अहंकार ही पाय।
अहंकार बिन जीव न, ग्यानीजन समझाय॥
अहंकार बिन जीव न, ग्यानीजन समझाय॥
अहंकार जो पा लिया, विपुलन जीवन पार।
तुलसी मीरा आ मिले, अहंकार अवतार॥
तुलसी मीरा आ मिले, अहंकार अवतार॥
जग बोले अहंकार हैं, मैं बोलू अहंकार।
सोंच सोंच का फेर है, अपना अपना यार॥
सोंच सोंच का फेर है, अपना अपना यार॥
अहंकार में ढूंढकर, अहंकार को पाय।
मूरख समझे अहंकार, अहंकार बिसराय॥
मूरख समझे अहंकार, अहंकार बिसराय॥
ब्रह्म भरम उपजात है, भरम ब्रह्म की भूल।
जो बैठा जंजाल में, उसको मिलते शूल॥
जो बैठा जंजाल में, उसको मिलते शूल॥
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