सुमिरन तेरा
दास विपुल
मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य
हो श्वांसों में सुमिरन तेरा।
यूंहि बीते अब जीवन मेरा॥
बस ये ही कृपा करना प्रभु।
तर जायेगा जीवन मेरा॥
युगयुग भटका दरदर भटका।
आया शरणागत प्रभु तेरे ॥
अब हाथ पकड़ लो तुम मेरा।
हो श्वांसों में सुमिरन तेरा॥
चंचल नटखट बालक मैं हूं।
खोटा मैला मन वस्त्र लिये॥
चलते चलते थक कर गिरा।
हो श्वांसों में सुमिरन तेरा॥
है दास विपुल कितना मूरख।
बहूमूल्य समय गंवाया है॥
अब तेरे चरणों आन गिरा।
हो श्वांसों में सुमिरन तेरा॥
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