प्याज की मित्रता (हास्य)
प्याज की मित्रता (हास्य)
विपुल लखनवी नवी मुंबई। 99969680093
अपने मित्र की उदारता देखकर मेरी आंख भर आई।
जब उसने मुझे अपने घर बुलाया और प्याज की पकौड़ी बनाकर खिलाई।
साथ ही लहसुन की चटनी भी सुघाई।
मुझे मेरे सोचने का मिल गया था दंड।
मेरे मित्र के घर में था 2 किलो प्याज पर ना था कोई घमंड।
हां उसकी पत्नी का चेहरा जरूर गर्व से दमक रहा था।
अरे क्यों ना हो उसके किचन में दूर से 200 ग्राम लहसुन चमक रहा था।
मैंने प्याज की पकौड़ी डरते डरते खाई किंतु मित्र ने उदारता दिखाई एक पकौड़ी और मंगवाई।
मुझे बड़े प्यार से खिलाई।
अंत में सौंफ की जगह लहसुन की पुती आगे करती हुई भाभी जी बोली भाई साहब अब आप यह भी खाइए।
अरे दो चार टुकड़े उठाइए यह कहते हुए
जैसे ही उन्होंने अपनी गर्दन घुमाई
मैंने फटाक से लहसुन की पुती उठाई और जेब में छुपाई।
भाभी जी ने बड़ी शान से
मेरी पत्नी को कुछ उपहार देने का मन बना लिया
और चलते समय मेरी पत्नी के लिए एक प्याज ही पकड़ा दिया।
मैंने संकोच वश स्वीकार कर लिया और घर वापस हो गया।
कहीं भाभी जी का विचार बदल ना जाए
अथवा यह प्याज कोई लफंगा न छीन ले जाए।
मित्रों तब से आज तक मैं सुबह शाम प्याज लहसुन का मजा ले रहा हूं।
शीशी में बंद कर रखा है पिसा हुआ प्याज और लहसुन
उसी को देख कर काम चला रहा हूं।
सच बताऊं रात भर सो नहीं पाता हूं।
उस प्याज की निगरानी में रात रात भर जागता हूं।
आजकल मैं अपने को बहुत गर्वित महसूस करता हूं।
क्योंकि मेरे घर में 2 प्याज और चार पुती लहसुन है।
इसलिए बड़े शान से कहता हूं
तो मित्रों यदि आपको देखना है
प्याज लहसुन कैसा होता है।
तो आप मेरे घर आ सकते हैं।
देखकर तसल्ली पा सकते हैं।
लेकिन हां खाली हाथ मत आइएगा
साथ में कुछ उपहार जरूर लाइएगा।
आखिर बड़े लोगों के घर खाली हाथ नहीं जाया जाता है।
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