और कहते हैं कि हम इंसान हैं
विपुल लखनवी नवी मुंबई। 9969 68 00 93
कभी किसी गरीब की थाली में पैसे डाले
नहीं
किसी अंधे को रास्ता बताया
नहीं
और कहते हैं कि हम इंसान हैं।
जरा सोचो ध्यान से
कौन सा इंसानियत गुण है
तुम्हारे साथ किसी जानवर की तरह
मात्र खाना खाना
आबादी बढ़ाना
और
मर के चले जाना।
क्या कभी एकांत में सोचा है तुमने
ईश्वर ने जीवन क्यों दिया
और
तुम्हारा समाज के प्रति पर्यावरण के प्रति क्या उत्तरदायित्व
क्या केवल पैसा कमा लेना सफलता की कसौटी है
या अपार संपदा बटोर लेना जीवन की सार्थकता है
यदि यह सोचते हो तो गलत हो
धन कमाने के लिए किसी अंधे की कटोरी से पैसे मत उठाओ
तुम यह कर रहे हो बिल्कुल यही कर रहे हो क्योंकि
तुम इस पर्यावरण पर अत्याचार करते जा रहे हो
बिल्कुल उसी भांति तुम उस पर्यावरण की कटोरी से वस्तुएं चुराते जा रहे हो
तो तुमको हम चोर क्यों ना कहें
यदि मानव हो तो मानवीय मूल्य का सम्मान करना सीखो।
किसी गरीब पर दया करना सीखो किसी प्यासे को पानी पिलाना सीखो।
और यदि यह भी ना कर सको तो कम से कम पर्यावरण बचाओ
ताकि तुम्हारी आने वाली संताने तुमको गालियां ना दे।
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