आक्रोश प्रियंका की हत्या का
विपुल लखनवी। नवी मुंबई।
जो बेटी जीना चाहेगी, रौंद के मार देते हैं।
औरत एक खिलौना पुरुष का, शिक्षा यही देते है।।
है अधिकार पुरुष का केवल, औरत तो बाजारू है।
यही लिखा है धर्म में अपने, फतवा यही जारी है।।
नहीं समझते नारी बराबर, पुरुष समान ही होती है।
उसको रौदो कुचलो मसलों, धर्म की यही कसौटी है।।
अपने पड़ोसी मुल्क में अंधी, लड़की फांसी चढ़ती है।
उसने उकसाया चाचा को, पुलिस यही तो कहती है।।
जब तक इन पर रोक न होगी, अपराध नहीं रुक पाएंगे।
जब नारी नहीं खिलौना, कानून यही बनायेगें।
तब तक अपने भारत में भी, गिद्ध राज चलता जाए।
क्यो अपराधी इसी काम के, बात समझ में यह आये।।
दुनिया भर में क्यो आतंकी पाक से पैदा होते हैं।
इसी देश की गलती दिखती, घाव जगत में देते है।
मानवता को यही मारे काफ़िर मारो चिल्लाते हैं।
हूरे मिलती जन्नत में कह कर जग बरगलाते हैं।।
आये दिन भारत माता को यह घाव कहीं दे जाते हैं।
शांति के दुश्मन मॉनव विरोधी काम यही कर जाते हैं।।
जब तक भारत में चीन समान नहीं धर्म लाया जाएगा।
तब भारत में यही होगा नहीं रोक कोई पायेगा।।
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