सोंचो हर रोज दीवाली ही है
सनातनपुत्र देवीदास विपुल
"खोजी"
काव्य:
दीपावली क्या
सारे जग के
तम को हरने। आती है यह दीवाली।।
प्रभु राम
को नमन करने। आती है यह दीवाली।।
युगों
युगों से इसे मनाते। पर अंधियारा है बाकी।।
राम ह्रदय
में नही है आता। भाव रावण का है बाकी।।
दुर्योधन हो
या हो रावण। रण न्याय का है बाकी।।
ईश प्रेम
को अर्पण करने। आती है यह दीवाली।।
युग बीते
इतिहास हो गए। राम लला उपहास हो गए।।
जितने असुर
बचे धरती पर। सत्ता से खासमखास हो गए।।
सत्य न्याय
जीवित है जग में। यही यह बतलाती है।।
नही
सीखेंगे कुछ भी राम से। मात्र मनाएंगे दीवाली।।
विपुल ने
सोंचा हम बदलेंगे। पर न बदला यही हुआ॥
राजनीति के
राम हो गए। सीता पुनः अपहरण हुआ।।
महाकाली का
काल दिखे अब। जैसे बुद्धि भृष्ट हुआ।।
आज पुनः
विचार करो अब। मन दर्पण है दीवाली।।
काव्य :
काली दीवाली मनाते हो
और
दीवाली बीत गई पर मन का दीप जला पाये?
अन्तस्
मन मे कालिमा कितनी मन का तम मिटा पाये??
युगों
से रावण दहन किया पर दहन हुआ रावण मन का?
लाख
जतन करते रहते हो उतर सके मैला तन का!
पर
कितनी कोशिश तुमने करने में मन का मैल छुटा पाये?
अन्तस्
मन मे कालिमा कितनी मन का तम मिटा पाये??
ध्वनि
प्रदूषण वायु प्रदूषण करो धमाका जोर से तुम।
पर
तेरे अन्तस् का प्रदूषण तनिक मात्र मिटा पाये।।
दीवाली
के अर्थ को समझा अनर्थ लगा कर तुम बैठे।
चलो
पुनः प्रकाश करेंगे क्या यह अर्थ लगा पाये।।
पर मन
की शांति कितनी है क्या दुख दर्द मिटा पाये।।
अन्तस्
मन मे कालिमा कितनी मन का तम मिटा पाये??
अरे
सम्भल लो अब भी बाकी है समय जो तेरे पास बचा।
हल्ला
गुल्ला शोर तमाशा ही मतलब तुम साथ सजा।
रामनाम
का विपुल जाप कर असमय समय जो पास बचा।।
दास
विपुल महिमा तू जाने राम नाम कितना बलशाली।
राम
नाम की ओट ले मूरख दीनन पार उतर जाये।
अन्तस्
मन मे कालिमा कितनी मन का तम मिटा पाये??
जय गुरूदेव महाकाली।
(तथ्य कथन गूगल साइट्स इत्यादि से साभार)
"MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक
विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी
न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग
40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके
लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6
महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।" सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
ब्लाग :
https://freedhyan.blogspot.com/
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