हिंदी काव्यात्मक सिद्ध कुंजिकास्तोत्र पाठ
स्तुतिकार: सनातनपुत्र देवीदास विपुल
"खोजी"
विपुल सेन उर्फ विपुल “लखनवी”,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक
एवं कवि
पूर्व सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक
हिन्दी जर्नल “वैज्ञनिक” ISSN 2456-4818
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शिव बोले हे देवी सुनो तुम,
कुंजिका स्तोत्र को मैं
गाउंगा।
जिस पाठ देवी जाप सफल हो,
वह जप जग को बता जाउंगा
।1।
कवच अर्गला कील रहस्य सब,
अनावश्यक सूक्त न्यास
गाउंगा।
मात्र कुंजिका पाठ कारण
से,
मिले मातृ दुर्गा का फल
है।2।
यह भेद अत्यंत गुप्त
विरल है,
देवों को भी न सहज सरल
है।
हे उमा इसे गुप्त सदा
रखना,
ज्यों योनि हो छिपाकर
ढंकना।3।
कुंजिका उत्तम पाठ
निराला,
मारण मोहन स्तम्भन टाला।
वशीकरण आभिचारिक उच्चाटज्ञ,
काटे तंत्र मंत्र सब ही
यज्ञ।4।
सब उद्देश्यों की पूर्ति
करता,
सर्व बलशाली स्तोत्र है
करता।
मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
ॐ ग्लौ हूं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।'
काव्यात्मक मंत्र
महासरस्वती चित्स्वरूपिणी।
हे महालक्ष्मी सद्ररूपिणी ,
आनन्दस्वरूपिणी महाकाली।
पतित पावनी कष्ट हरनेवाली।1।
ब्रह्मविद्या हेतु महासरस्वती।
ध्यान इसीलिये करती प्रकृति।
हे महाकाली महालक्ष्मी देवी।
सब स्वरूपिणी चण्डिके देवी।2।
अनेकों बार नमस्कार तुम्हे है।
सकल सृष्टि का भार तुम्हें है।
रज्जु की दृढ़ ग्रन्थि को खोलो।
अविद्यारूप कर मुक्त मुख खोलो। 3।
ग्लों गणेश दुख नाश करो।
असुर-संहारक शिव ज्ञान वरो।
इच्छापूर्ति शक्तिदाताकाली।
कर्ता कृष्ण काम रखवाली।4।
देव क्रियाशील रहें सब।
मुझमें श्वांस रहेगी जबतक।
पुन: नमस्ते महासरस्वती दयालु।
महालक्ष्मी महाकाली कृपालु।5।
चण्डी स्वरूपिणी अनंत प्रणाम।
आप तीनों बनें तीनों आयाम।
पृथ्वी से आकाश तलक तक।
जन्म से पहले बाद तलक तक। 6।
मूलाधार से सहस्त्र ब्रह्म तक।
चक्र हो जागृत सिद्धि वरने तक।
सिंह समान सब चक्र दहाड़े।
वीरभद्र भांति बाधा को पछा ड़े। 7।
अनाहत हो सिद्धि के पुष्पदल।
प्रज्जवलित चक्र सिद्धि दे सब जल।
तीव्र जलें और तीव्रतम हो प्रकाशित।
अनन्त शक्ति संग हो विस्फोटित।9।
हे मां मुझे सर्व सिद्धियां दे दो।
साथ भुक्ति और मुक्ति दे दो।
हे रुद्रस्वरूपणी तुम्हे
नमस्ते,
महादैत्यमधुहंता को
नमस्ते।
कैटभनाशिन शुम्भ
निशुम्भहंता,
महिषासुरमर्दिनी को
नमस्ते।5।
हे महादेवी जप करो
जाग्रत,
सिद्ध करो हूं तेरे
शरणागत।
ऐंकार रूप
सृष्टिस्वरूपणी,
ह्रींकार सृष्टि पालन
स्वरूपणी।6।
क्लीं निखिल ब्रह्मांड
बीज रूप,
विश्वव्यापि सर्वेश्वरी
नमस्ते।
चामुण्डारूप
चण्डविनाशिनी,
यैकार वरदायिनी को
नमस्ते।7।
विच्चै रूप नित्य अभय
प्रदाता,
महामंत्र नर्वाण को
नमस्ते।
धां धीं धूं रूप शिव की
रानी,
वां वीं वूं वाणेश्वरी
नमस्ते।8।
क्रां क्रीं क्रूं रूप
कालिका देवी,
शां शीं शूं कल्याणी को
नमस्ते।
हुं हुं हुंकार स्वरूपणी
देवी,
जं जं जं जम्भनादिनी
नमस्ते।9।
हे कल्याणकारिणी भैरवी,
महाभवानी बारम्बार
नमस्ते।
अं कं चं टं तं पं यं शं,
वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं।10।
धिजाग्रं इन बीजों को तोड़ो,
दीप्त कर स्वाहाबन शक्ति
परं।
पां पीं पूं तुम पार्वती
पूर्णा,
खां खीं खूं खेचरी संग नमस्ते। 11।
खेचरी बन आकाशचारिणी,
सां सीं सूं सप्तशती को
नमस्ते।
हे दुर्गा कृपा दृष्टि
कर देना,
पाठ हो पूर्ण सिद्धिवर
देना।12।
कुंजिका पाठ मंत्र सभी जगाता,
पर नास्तिक, भक्तिहीन
न देना।
हे पार्वती सदा गुप्त रखना,
किसी अयोग्य को कभी न
देना।13।
इस स्तोत्र बिन सप्तशती
पढ़ना,
उसे कभी कोई सिद्धि मिले
न।
इसके साथ सब पाठ है
सार्थक,
बिन इस वनविलाप निरर्थक।14।
दास विपुल मां कृपा है कर दो।
महिमा बखानूं ज्ञान यही
दो।
हे जगदम्बे जग मात भवानी,
कौन जगत तेरी महिमा जानी।
15।
सब भक्तन पर दया कर देना,
मनवांछित फल सबको देना।
दास विपुल बस भक्ति ही चाहे,
तुझमें समाऊं यह वर
देना।16।
MMSTM समवैध्यावि ध्यान की वह आधुनिक विधि है। कोई चाहे नास्तिक हो आस्तिक हो, साकार, निराकार कुछ भी हो बस पागल और हठी न हो तो उसको ईश अनुभव होकर रहेगा बस समयावधि कुछ बढ सकती है। आपको प्रतिदिन लगभग 40 मिनट देने होंगे और आपको 1 दिन से लेकर 10 वर्ष का समय लग सकता है। 1 दिन उनके लिये जो सत्वगुणी और ईश भक्त हैं। 10 साल बगदादी जैसे हत्यारे के लिये। वैसे 6 महीने बहुत है किसी आम आदमी के लिये।" सनातन पुत्र देवीदास विपुल खोजी
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