चायवाले पर जग रोता है
🙏🙏 विपुल लखनवी।
नहीँ हजम कुछ को होता है चायवाले पर जग रोता है।
कोई गबन न नहीँ घोटाला चुप बैठे बन कर चौटाला।।
मन था गुलाम गुलामी करते तलवे चाटे न थे थकते।
आज नहीँ तलवे मिलते है क्या चाटे न समझते है।
देश का होगा बेड़ा पार मन थोड़ी धीर धरो।।
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