उनको मूर्ख कहते हैं
विपुल लखनवी नवी मुंबई
नहीं सीखते इतिहासो से उनको मूर्ख कहते हैं।
नहीं देखते वर्तमान को उनको मूर्ख कहते हैं।।
नहीं समझ पाते क्या करना उनको मूरखकहते हैं।
बहकावे में जो आते हैं उनको मूरख कहते हैं।।
बरस 80 पहले जो कहते भारत के टुकड़े होंगे।
ऐसी बातें सुनकर के कितने जन हंसते होंगे।।
और भारत भी टूट गया पाकिस्तान बना डाला।
अपने घर के टुकड़े करके वह इतिहास बना डाला।।
वर्ष 50 पहेले कहते थे कश्मीर से जाओगे।
अपनी संपत्ति स्त्री धन सब यहां छोड़ पछताओगे।।
पर जब बात चली थी ऐसी किसी ने तब न मानी थी।
हंसकर बात टाल बैठे थे समय ने बातें ढाली थी।।
बस यही इतिहास बताता उनको समझ न आता है।
जो बहरे और महामूर्ख है समझ न उनको भाता है।।
जब समझेंगे तब तक सारा समय बीत ही जाएगा।
तब कुछ न यह कर पाएंगे जीवन भर पछताएगा।
बात अंबेडकर की ना मानी जोगिंदर मंडल कहते थे।
जिन्ना के संग भाग चले गए ब्राह्मण विरोधी हो गये थे।।
किंतु क्या हाल किया पाकी ले दलितों को भी मारा था।
तेईस प्रतिशत की आबादी बीस प्रतिशत को मारा था।।
यही कहानी बांग्लादेश में हिंदू आबादी पाई है।
दलित साथ उनके सब मिट गए करुण कहानी आई है।।
पर शायद आंखों के अंधे बदले में सब भूल गए।
मिट जाएंगे इस धरती से अगर हिंदू को भूल गए।।
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