:हास्य व्यंग पुरोधा माणिक वर्मा जी को समर्पित
एक व्यंग विपुल लखनवी की देश के नाम पुकार:
भारत में दंगा करवाया कुछ उल्लू के पट्ठों ने।
अपने को नेता बनवाया कुछ उल्लू के पट्ठों ने।।
सारे नाटक कर डाले और जूते चप्पल खायें हैं।
अपने को नंगा करवाया कुछ उल्लू के पठ्ठों ने।।
नहीं समझते आजादी क्या कैसे मिली यह न जाने।
टुकड़े भारत के गाया कुछ उल्लू के पट्ठों ने।।
नमकहरामी गद्दारी कर नहीं शर्म इनको आती।
नमक हलाल खुद को बतलाया इन उल्लू के पट्ठों ने।।
बात-बात पर झंडा लेकर तोड़फोड़ यही करते।
भाषण दे दंगा करवाया कुछ उल्लू के पट्ठों ने।।
भारतवासी चुप रहते हैं यह फायदा लेते रहते।
नहीं सुधरेंगें यही सोचा कुछ उल्लू के पट्ठों ने।।
बचपन बीता चोरी करते गई जवानी जेल में।
क्रांतिकारी खुद को बतलाया कुछ उल्लू के पट्ठों ने।।
कलम विपुल की सच बोलेगी देश प्रेम सिखलाती रहती।
उसकी कविता को भी चुराया कुछ उल्लू के पठ्ठों ने।।
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