सत्य नही मिट सकता है। मिथ्य नही टिक सकता है।।
विपुल लखनवी। नवी मुंबई।
श्रेष्ठ ज्ञान की नीति पाली। सत्य सनातन है वो डाली।।
चाहे कितने तूफ़ा आये। सत्य नहीं झुक सकता है।।
कितने दुष्ट धरा पर आये। चहुदिशा जो कष्ट लाये।।
किंतु सत्य सनातन स्थिर। ध्वज नहीं झुक सकता है।।
चाहे जैसे हो अत्याचारी। सकल धरा जिनसे है हारी।।
खुद मिट जाते तेज देखकर। सहन नहीं हो सकता है।।
जैन बौध्द चाहे सिख ईसाई। सबने शिक्षा यहीं से पाई।।
आज भले हमको वो भूलें। लेख नही मिट सकता है।।
सकल विश्व के ज्ञानी ध्याये। सनातन की गंगा में नहाये।।
धर्म अलग कर ज्ञानी बनते। बीज लघु न गल सकता है।।
देवीदास विपुल की विनती। सकल सृष्टि जैसे हो सुनती।।
सत्य सनातन अमिट रहेगा। पापी नहीं टिक सकता है।।
सत्य नही मिट सकता है। मिथ्य नही टिक सकता है।।
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