बस राष्ट्रवाद तेरी जय हो
न जातिवाद न भाषावाद, बस राष्ट्रवाद तेरी जय हो।
न हो ऊंचा, नीचा कोई, बस राष्ट्र की बात घर घर हो॥
जहाँ देव स्वयं गुणगान करे, आरती धरा की होती हो।
इस धरती पर पुन: जन्म मिले, यह वाणी गूंजित होती हो॥
जिस धरती पर गूंजित गीता, ऐसे विश्वज्ञान की जय हो।
न हो ऊंचा, नीचा कोई, बस राष्ट्र की बात घर घर हो॥
इस पावन धरती पर प्रकटे, है महावीर बुद्ध ज्ञान लिया।
है शांति अहिंसा मार्ग चलें, जगती को यह उपदेश दिया॥
इस शस्य श्यामला धरती को, हम स्वर्ग समान बनायेगें।
हर कानन को सरसायेंगे, और प्रेम सुधा बरसायेंगे॥
न कोई पराया सब अपने, बस ज्ञान की गंगा बहती हो।
न हो ऊंचा, नीचा कोई, बस राष्ट्र की बात घर घर हो॥
यह कलम विपुल उद्घोष बाण, बन बिगुल देश की बानीं का।
हर शब्द बनें एक आह्वाहन, बन जाये देश कुर्बानी का॥
जब शत्रु द्वारे चुनौती दे, तब युवक देश के जाग उठें।
सैनिक बनकर अपने देश के, मिटेगें देश पर ठान उठें॥
दल अरियों के मिट जायेंगे, बस शांति विपुल मंगलमय हो।
न हो ऊंचा, नीचा कोई, बस राष्ट्र की बात घर घर हो॥
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