सही हूं तू गलत
देवीदास विपुल उर्फ
विपुल सेन “लखनवी”
नवी मुंबई
भ्रम हमेशा ये ही जग में मैं सही हूं तू गलत।
भाव मन में बैठे ऐसे हो नशे की कोई लत।।
उसने समझाया मुझे तेरी जिद है यह गलत।
पर मैंने कुछ भी न समझा समझा उसको ही गलत।।
क्या गलत और सच है कैसा यह समझ पाया नहीं।
जिसने समझाया मुझे उसको समझा मैं गलत।।
क्या गलत है सोचते गरल हो गई जिंदगी।
जब समझ आया मुझे समय ही था तब गलत।।
गलतियां करके न सीखा काम क्या करना मुझे।
जिसको साधारण सा समझा वह गुणा भी थी गलत।।
जिसको समझा था गलत वह सही निकला जगत।
जिंदगी बीती है मेरी न समझ आया गलत।।
है विपुल कुछ भी न समझा कौन सी गलती करी।
गलतियों को सही समझा सोच बिल्कुल यह गलत।।
कैसे गलती को मिटाऊं और ठीक ठाक कर सकूं।
अरे विपुल मूर्ख बना क्यों ठीक कर जो है गलत ।।
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