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Monday, January 27, 2020

नव आरती श्री गणेश की 1

नव आरती श्री गणेश की

विपुल लखनवी नवी मुंबई।


मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य

जय गणेश बुद्धि ज्ञान प्रदायक।

रिद्धी सिद्धि दे सर्व सुख दायक॥

तुम ही प्रभु हो सकल विश्व के।

तुम ही भक्तन मोक्ष प्रदायक॥


आदिदेव तुम गण के देवा।

नाम सुमीर मिलती सब मेवा।।

शिव शंकर प्रभु पिता तुम्हारे।

उमा शक्ति मां सब कुछ दायक॥


हस्त शूल है दुष्ट दलन को।

मुद्रा तेरी भक्त शरणन को॥

भक्त सहाय सदा हितकारी।।

तुम इस जगत से मुक्तिदायक॥


तीर्थ शिवओम तुम हो प्रभु जी।

नित्यबोधानन्द ज्ञान प्रभु जी॥

ज्ञान धारा पर ला गंगाधर।

महिमा तेरी सब जग गायक॥


मूर्ख विपुल कर जोड़े विनती।

करो प्रभु मन मोक्ष क्रांति।।

तेरी सेवा ही गुरू सेवा।

दास विपुल के तुम्ही सहायक॥ 


प्रभु क्षमा कर विपुल मूरख को।

शरण तिहारी आन पड़े जो।।

तुम हो दया क्षमा के सागर।

कृपा दृष्टि डालो गुणदायक॥ 


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