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Thursday, January 9, 2020

ज्ञानी उसको जानिये

 ज्ञानी उसको जानिये


 

ज्ञानी उसको जानिये, पर्यावरण बचाय।

प्रकृति से प्रेम कर, नाम जपत जुट जाय।।1

अपनी फोटो जे पसन्द, सबको जो दिखाय।

समझो उसको ज्ञान न, गागर उलट भराय।।2

छोट छोट सी बात मा, आपा ही खो जाय।

तनिक जो दूजा बोल दे, कच्चा ही खा जाय।।3

मन बसी एक चाह जो, मेरा हो सन्मान।

मेरी जय जय कार हो, यही मेरा ज्ञान।।4

जन कहे हूँ ज्ञानी मैं, वाणी मेरी मान।

मैंने जाना प्रभु क्या, दूजा है बेईमान।।5

विपुल कहे मैं क्या करूं, रस्ता प्रभु बताय।

कैसे बढ़ कर मैं चलूँ, बार  बार गिर जाय।।6

ज्ञानी की इस भीड़ में, विपुल हुआ असहाय।

मूरख जाने जगत क्या, पुनि पुनि धोखा खाय।।7




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