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Monday, February 17, 2020

साथ क्या ले जाऊंगा

साथ क्या ले जाऊंगा

देवीदास विपुल 

 

जिन्दगी का क्या भरोसा साथ क्या ले जाऊंगा।

जिन्दगी जब न है मेरी क्या जगत से पाऊंगा॥

माटी का चोला पहन माटी में मिल जाऊंगा।

माटी से जग यह बना माटी ही बन जाऊंगा॥


माटी जीवन जी रहा माटी तो ब्रह्म गान है।

माटी की सब दे सकेगी माटी से सब काम है॥

जो बसी सांसो की माला पहला मोती जान लूं।

न समझ पाया क्या माला फेर कैसे पाऊंगा॥


देखता सब चुक गया जो भी समय मेरे पास था।

समझ न आया है कुछ भी कौन मेरी आस था॥

क्या करूं कुछ सूझे न वाणी मेरी अब साथ न।

हाथ विपुल कर के खाली जगत से मैं जाऊंगा॥


तीर्थ गुरूवर की दया जो वो मेरे है काम की।

माटी सा जीवन बिताया स्वप्न मिट्टी नाम की॥

कर दया ईश गुरूवर योग संग में ध्यान दो।

नौका दे दो ज्ञान की भव सागर तर जाऊंगा॥


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