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Monday, February 17, 2020

नमस्कार नमोऽस्तु

नमोऽस्तु परम ब्रह्म

दास विपुल 

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परम ब्रह्म को नमस्कार, नमोऽस्तु शिव तत्व।
धरे कभी  गुरु रूप जो,  कभी बना अव्यक्त॥


करूं प्रार्थना शक्तिमान,  स्वयं को निर्बल जान।
सकल विश्व व्यापत रहे, जगदम्बिका परनाम॥

गुरू देव की स्तुति बिना, पूर्ण न कोई काम।
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु,  गुरू गुणों की खान॥

सर्व देव विनती करूं,  करूं विनय कर जोर।
दास विपुल चरणी पढ़ा,  सुन लो विनती मोर।।


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