गुरुदेव आपके चरणों में
देवीदास विपुल
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जीवन यह समर्पित करता हूं, गुरुदेव आपके चरणों में।
मुझ पापी का उद्धार करो हूं, पड़ा आपके चरणों में॥
मन बंधन मुक्त नहीं होता, कितना ही जप तप ध्यान किया।
हो कृपा आपकी लेश मात्र, शब्द ज्ञान आपके चरणों में॥
मैं युगों युगों तक भटक फिरा, अनगित योनि संग भटका हूं।
अब मानव तन पाया मैंने, कर ध्यान आपके चरणों में॥
मैं भटक भटक कर भटक गया, जो मार्ग सही था भटक गया।
भटकन मेरी अब बंद हुई, शरणागत तेरे चरणों में॥
मां काली की जब कृपा तीर्थ, नित्यबोधानंद कृपा मिली।
बढ़ चलूं साधना के पथ पर, रख शीश तुम्हारे चरणों में॥
है दास विपुल की इच्छा यह, तेरे चरणों में लीन रहूं।
अनुकम्पा तुम्हारी मिले सदा, है यही प्रार्थना चरणों में॥
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