चेन से चैन नहीं
चेन से चैन नहीं
विपुल लखनवी
चेंन चैन नहीं दे सके, पहनो यह दिन रात।
राम नाम के बैन से, शान्ति मिलती आप।।
चेंन एक जंजीर है, स्वर्ण रजत या लौह।
यह बंधन है ग्रीव में, मुक्त नहीं है वोह।।
प्रभु नाम ही काटता, जगती के जंजाल।
चैन तभी पा पायेगा, मूरख मन में पाल।।
काल कोरोना मिल गया, कर इसका सदुपयोग।
दास विपुल की मान लें, कर ले तू परयोग।
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