मौन में वो कौन
मौन में वो कौन
विपुल लखनवी
मौन में वो कौन है जो गूंजता उर में मेरे।
इस हृदय में कौन रहता पास रहता जो मेरे॥
इक कहानी बन चली है मौन से चुपचाप उठकर।
है नहीं नायक कहीं भी प्रश्न यही मुझको घेरे॥
वाणी मेरी मौन है और शब्दों में परिहास है।
मूक रहकर कौन गाता गीत जो ठहरे सुनहरे॥
नहीं उसे मैं जान पाऊं जीवन मांझी कौन है।
क्या सफल होगा विपुल हैं कौन से चेहरे मेरे॥
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