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Tuesday, October 13, 2020
अजीब किस्म की गरीब दुनिया
अजीब किस्म की गरीब दुनिया
विपुल लखनवी
फेंको फेंको कुछ भी फेंको। सब चलता है इस दुनिया में॥
गली गली ज्ञानी बैठें हैं। पर न ज्ञानी मिले दुनिया में॥
सब खोलें हैं अपनी दुकान। राम नाम महिमा नहीं जान॥
बन चेला हूं गुरु मैं तेरा। मुझको अपना गुरू तू मान॥
विपुल खड़ा अचरज में देखे। उलटी वाणी सबकी देखे॥
दूजे को उपदेश बताते। खुद नहीं रत्ती भर हैं सीखे॥
अजीब खेल है यह संसारी। लालच से जगती है हारी॥
सभी दिखें मन जो है निर्धन। कैसे हडपे दूजे का धन॥
एक लम्बा पद : साधो! ले लो राम का साथ
एक लम्बा पद : साधो! ले लो राम का साथ।
विपुल लखनवी
मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य
साधो! ले लो राम का साथ।
जिसके मन में राम नहीं वह, जग में रहता अनाथ।
सियाराम ही शक्ति स्वरूपा, शिव भी जपे दिन रात॥
राम नाम को जपते जपते, तू हो अपने साथ।
राम नाम तेरी श्वास बसे, कर मुझपर विशवास॥
कितने पापी तार दिये है, राम नाम जिन्हें पास।
रोम रोम में वो बसता है, पकड़े बढाकर हाथ॥
रासी रगड़ रगड़ से घिसकर, पत्थर भी घिसै जात।
मन को रगड़े राम नाम से, राम नाम सौगात॥
बाल्मीकी ने कथा सुनाई, तुलसी लिखी गाथ।
केवट शबरी को भी तारा, पूछे न कोई जात॥
अपने भीतर उसे पकड़ ले, कभी बाहर न आये।
दास विपुल उसे पकड़े छोड़े, जगत परिपंच दे मात॥
नित्यबोधानंद गुरूवर, कृपा शिवोम् मिल जाये।
दास विपुल का जीवन तर दे, विनती करूं दिन रात॥
Monday, October 12, 2020
एक पद : राम नाम सुखदाई साधु