मैया कैसे तुम्हें हम लुभायें
देवीदास विपुल
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🙇मां तुम्हारे चरणों में समर्पित यह जीवन 🙇
मैया कैसे तुम्हें हम लुभायें मनवा नाहीं लागे।मैया कैसे तुम्हें हम मनायें मनवा नाहीं लागे॥
बड़े बड़े ज्ञानी ऋषि मुनि मिल लीला समझ न पायें।
ब्रह्मा संग विष्णु महिमा बखाने शिवजी तुझको ध्यायें।
विपुल मूरख समझ नहीं पाए मनवा नाहीं लागे॥
मैया कैसे तुमको मनायें मनवा नाहीं लागे॥
महिषासुर को सायुज्य देकर शुंभ निशुंभ पैठाया।
तनिक कृपा दैत्यों के ऊपर सबको स्वर्ग बसाया॥
मैया मूरख विपुल संग गाएं मनवा नाहीं लागे॥
मैया कैसे तुमको मनायें मनवा नाहीं लागे॥
तू जग की जग्जननी मैया माया में जग रचाई।
द्वार तेरे मैं आ न सकूं मां दुनियां करे हंसाई॥
मैया वासना विपुल न जाएं मनवा नाहीं लागे॥
मैया कैसे तुमको मनायें मनवा नाहीं लागे॥
मूरख विपुल भूला है तुझको उसको मारग दिखाना।
लंगड़ा कामी बहरा पापी वह जग से पार लगाना॥
मैया बुद्धि से भ्रमित हो जायें मनवा नाहीं लागे।
मैया कैसे तुमको मनायें मनवा नाहीं लागे॥
पूरी करो भक्तन की इच्छा भीड़ बहुत तेरे द्वारे।
जो थक जाते दुनिया से मांगे वो ही तुझे पुकारे॥
मैया पूरी करो जग की आस मनवा नाहीं लागे।
मैया कैसे तुमको मनायें मनवा नाहीं लागे॥
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