Sunday, January 5, 2020

जो बीत गया वह बीत गया

 जो बीत गया वह बीत गया

 

जो बीत गया वह बीत गया। 

जो बीत गया वापस न हो।।

सीखो इतिहास दरिंदों से।

माता की छाती चढ़ गए जो।।

जो कालयवन के वंशज थे।

कलयुग के राक्षस रावण थे।।

जो घृणा भाव से भरे हुए।

जेहादो के सम्भाषण थे।।

दूजे की बहन बेटियों को।

रुसवा कर हरम बनाया था।।

रक्त पात पूजा स्थल को।

जिसने नर्क बनाया था।।

पर दुख मुझको यह होता है।

नहीं समझते भाई जो।।

उसके कांधे पर जा बैठे।

चुप कर रहता पर कसाई जो।।

मौका पाकर इनको भी।

एक दिन रंग दिखा देगा।।

क्या होता है छुरा छुपा।

अपना संग दिखा देगा।।

विपुल लखनऊ नवी मुंबई।


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