Friday, February 14, 2020

अंत समय प्रायश्चित

अंत समय प्रायश्चित

देवीदस विपुल

जब अंत समय आए तेरा,  तब प्राणी तू पछताएगा।
राम नाम तो लिया नहीं है,  अब जगत अंगूठा दिखाएगा॥




जब माया के बंधन सारे,  तू छोड़ जगत से जाएगा।
तब नहीं साथ तेरे कुछ भी,  बस राम नाम ही जाएगा॥ 


तब याद करेगा तू पिछली,  बीती बातें जो बीत गई।
तब बंद मुट्ठी में रेत समय,  की पकड़ नहीं तू पाएगा॥ 


तब तू समझेगा राम नाम,  की महिमा न्यारी है कितनी।
पर समय न होगा राम नाम,  का किस प्रकार तू गाएगा॥ 


तब तू समझे मानव जीवन,  संतों ने अमोलक है गाया।
बस शनै शनै जो गंवा दिया,  तब क्या कुछ तू कर पाएगा॥  


इसलिए समझ ले रे मूरख,  तीरथ शिव ओम् की किरपा ले।
तेरे अंदर में जब प्रकट हरि,  मुक्ति मार्ग खुल जाएगा॥ 


है दास विपुल की इच्छा यह सारा जग राम का रस पी ले।
तब नहीं काल का भय होगा,  इस ब्रह्म में ब्रह्म समाएगा॥



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