नेता कैसे बनें
विपुल लखनवी
उलटी सीधी बातें, कोई काम न करो।
नेता गर बनाना चाहो, चाहो जेब को भरो॥
देश की सम्पत्ति आग लगाओ तोड़ो।
नारेबाजी करो दो चार सिरों को फोड़ो ॥
देश को कोसो बिन गाली बात न करो।
उलटी सीधी बातें, कोई काम न करो॥
जो हो देश भक्त बिना आंसू के रुलाओ।
पुलिस को पीटो और बेकाबू हो जाओ॥
धरने प्रदर्शन करो चक्का जाम तुम करो।
उलटी सीधी बातें, कोई काम न करो॥
देखो फिर कैसे मीडिया तुमको पूजेगा।
देशद्रोही बन कर जिओ जरूर पूछेगा॥
सरेआम तिरंगे का अपमान तुम करो।
उलटी सीधी बातें, कोई काम न करो॥
बस समझो तेरा अब एक काम बन गया।
रातोरात गद्दारों का जब साथ मिल गया॥
देश के टुकड़े करने का प्रयास तुम करो।
उलटी सीधी बातें, कोई काम न करो॥
गद्दारों की कमी नहीं है अपने देश में।
उनसे मिलकर रहो बस नेता के वेश में।।
हाथ पैर जोड़ो टिकट का इंतजाम करो।
उलटी सीधी बातें, कोई काम न करो॥
तेरे अरमानों को पंख यूहीं मिलेगे।
तेरे नातेदारों के दिल यूहीं खिलेंगे॥
झूठी बातें बोलो विपक्ष को बदनाम करो।
उलटी सीधी बातें, कोई काम न करो॥
जैसे कुर्सी सत्ता की मिले पलट जाओ तुम।
जनता को मोफत लालीपाप थमाओ तुम॥
आरक्षण के कुछ मुद्दे को पुरजोर तुम करो।
उलटी सीधी बातें, कोई काम न करो॥
अल्पसंख्यक खतरे में बस यही चिल्लाओ।
तुष्टिकरण हेतु बीबी बेटी बेच जाओ॥
हिंदू बहुसंख्यक मुरदा इसे खतम ही करो।
उलटी सीधी बातें, कोई काम न करो॥
बाद में यह भारत सेकुलर राष्ट्र बनेगा।
तेरा तो बाप नहीं तू अल्पसंख्यक बनेगा॥
बस ऐसे मस्त रहो चिंता कुछ नहीं करो।
उलटी सीधी बातें, कोई काम न करो॥
बस ऐसे अपना देश कुछ समय चलेगा।
दलित हिंदू लड़ मरें नहीं कोई बचेगा॥
राजनीति की रोटी सेकों फिकर न करो।
उलटी सीधी बातें, कोई काम न करो॥
तुम पदवीधारी नेताओं के उस्ताद बन गये।
धूर्त कमीनों के मालिक सरताज बन गये॥
विपुल लखनवी को सदमा कैसे कुछ करो।
उलटे सीधे काम कर, अपने घर को भरो॥
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