गुरुवर तू है कितना महान
देवीदास विपुल
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गंगा यमुना देव सारे तीरथ, करते सदैव तेरा गान॥
बाल्मीकी को तूने तारा, तार अजामिल सा कसाई।
रत्ना नाम की गणिका तारी, बना डाला चतुर सुजान॥
मूर्ख युवक कालीदास बनाकर, काव्य की धारा बहाई।
महिमा तेरी अनन्त निराली, अज्ञान हटे मिले ज्ञान॥
तेरी पूजा कृष्ण भी कीन्ही, महिमा तेरी जग बताई॥
सियाराम तेरे चरण पखारे, तू ही ब्रह्म की है खान॥
तेरी लीला शिव जी गाई, माता पारवती समझाया।
देवीदास विपुल कर जोड़े, करे विनती गुरू का ध्यान॥
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