Monday, January 13, 2020

जगदम्बे का ध्यान

जगदम्बे का ध्यान

सनातनपुत्र देवीदास विपुल

 

मां जग्दम्बे के नव रूप, दश विद्या, पूजन, स्तुति, भजन सहित पूर्ण साहित्य व अन्य

जगदम्बे का ध्यान करो। माता अम्बे का ध्यान धरो॥

कष्ट सभी वो हर लेती हैं। उनका ही गुण गान करो॥

वो ही शक्ति इस सृष्टि की। उनसे प्रकृति है जन्में।

नष्ट होये सब उसी में समाये। उनकी ही बस बान धरो॥


आदिशक्ति वो ही कहलाती। शक्ति का अंत भी वो ही है॥

सभी देवता उस में समाये। भक्ति अनंत भी वो ही है॥

नहीं जगत में कुछ भी बाकी। जो उसके बिना हो पाये।

हैं साकार  रूप सब उसके। इतना ही बस ज्ञान धरो॥


ज्ञान रूप योगी में बसती। कामरूप भी विराजित है।

है समाधि उसकी ही लीला। सब कर्मों में साजित है॥

अंत रूप निराकार बनाकर। लीला रचाये धरती पर।

सारी माया वोही रचती। इतना ही बस कान धरो॥


दास विपुल महा अज्ञानी। चरणों से बस दूर रहा।

भक्ति कभी न कीन्ही माता। विषय भोग में चूर रहा॥

दया करो हे मात भवानी। भीख भक्ति की कुछ दे दो।

यह विनती करे तेरी प्रार्थना। अब तो मां क्षमादान करो॥


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