राम नाम की प्यास
विपुल लखनवी। नवी मुंबई।
9969680093
कुछ समय न तेरे पास।
तुझे न राम नाम की प्यास।।
बहुत पछतायेगा।
अंत जब आयेगा॥
तू कितना मचा ले शोर।
हुई न तेरी अभी भोर।।
बहुत पछतायेगा।।
अंत जब आयेगा॥
तू क्या है यह न जाने।
न अपने को ही पहिचाने॥
हाथ क्या पायेगा।
अंत जब आयेगा॥
तुझे न मॉनव रूप ज्ञान।
मिथ्य माया का अभिमान।।
व्यर्थ रह जायेगा॥
अंत जब आयेगा॥
कर डाली इकठ्ठा भीड़।
सोंच ये कभी न होंगे क्षीण।।
कुछ न कर पायेगा।।
अंत जब आयेगा॥
बस पकड़ राम नाम डोर।
मिले तुझे वहीं चितचोर।।
ज्ञान दे जायेगा॥
अंत जब आयेगा॥
गई देख जवानी बीत।
बुढापा न सकते हो जीत।।
मौत संग जायेगा।।
अंत जब आयेगा॥
अब तो सम्भल तू आज।
प्रभु को करे समर्पित काज।।
सत्य सुख पायेगा।।
अंत जब आयेगा॥
है दास विपुल यह बात।
सोंच न गलत तुझे आघात।।
चला यूं जायेगा।।
अंत जब आयेगा॥
कर माँ जगदम्बिके ध्यान।
गुरूवर धरे यदि सम्मान।।
वो ही तर जायेगा॥
अंत जब आयेगा॥
कर शिवओम नित्यबोध।
जस हो बालक एक अबोध।।
मारग बतलायेगा॥
अंत जब आयेगा॥
लिखे दास विपुल सम्वाद।
पकड ले चरण गुरू के आज॥
समझ कुछ पायेगा।।
अंत जब आयेगा॥
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