Thursday, January 2, 2020

जय हो कन्हैया। जय नन्दलाल

जय हो कन्हैया। जय नन्दलाल

 सनातनपुत्र देवीदास विपुल "खोजी"


 विपुल सेन उर्फ विपुल लखनवी,
(एम . टेक. केमिकल इंजीनियर) वैज्ञानिक एवं कवि
पूर्व सम्पादक : विज्ञान त्रैमासिक हिन्दी जर्नल “वैज्ञनिक” ISSN 2456-4818
मो.  09969680093
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जय हो कन्हैया। जय नन्दलाल।

नन्हे मुन्ने मदन गोपाल।।

सूरत सीरत तेरी न्यारी।

देख यशोदा होत निहाल।।


जनम अष्टमी धरा पे आओ।

साधुन मन हर्षायो।।

द्वार के ताले टूट गये जब।

वासु मथुरा आयो।।

युगों युगों से तेरी पूजा।

भक्त प्रेम बेहाल।।

जय हो कन्हैया। जय नन्दलाल।

नन्हे मुन्ने मदन गोपाल।।


राधा राधा प्रेम की धारा।

श्यामल दर्शन पाये।।

उद्धव भूले ज्ञान गठरिया।

प्रेमल भक्ति आये।।

यमुना तट पर नाचे ऐसे।

कालिया मर्दन जाल।।

जय हो कन्हैया। जय नन्दलाल।

नन्हे मुन्ने मदन गोपाल।।


लीलाधारी तेरी लीला।

जान सके न कोय।

योगी तेरा योग करे जब।

वो ही बिरला होय।।

तेरी माया जग भरमाये।

तू है दींन दयाल।।

जय हो कन्हैया। जय नन्दलाल।

नन्हे मुन्ने मदन गोपाल।।


दास विपुल अब चरण परे।

मायापति कुछ दया करे।।

मेरा लेखन लेख न जाने।

शब्दो का भंडार भरे।।

चरण पखारू प्रीतम तोरे।

कलुष ह्रदय संजाल।।

जय हो कन्हैया। जय नन्दलाल।

नन्हे मुन्ने मदन गोपाल।।


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