Wednesday, January 15, 2020

तेरे रूप की बानी

तेरे रूप की बानी

 🙏🙏 विपुल लखनवी

 

बड़ी मुश्किल है तेरे रूप की बानी लिखना।

जैसे खिलती हुई कलियो की जवानी लिखना।।

 

जो तेरे माथे पे बिंदिया है चमकता सूरज।

जैसे तप्त लौह पर लोहार की घानी लिखना।।

जैसे खिलती हुई कलियो की जवानी लिखना।।

 

तेरी ग्रीवा जो सुराही सी खनक रखती है।

अधरों की लाली से संध्या की कहानी लिखना।।

जैसे खिलती हुई कलियो की जवानी लिखना।।

 

तेरे चलने में कहीँ दिखती हिरणी की चपल।

जैसे बहते हुए पानी की रवानी लिखना।।

जैसे खिलती हुई कलियो की जवानी लिखना।।

 

तेरी मुस्कानों की तलवारों से घायल कितने।

जैसे बिन तरकश के  तीरॉ की कमानी लिखना।

जैसे खिलती हुई कलियो की जवानी लिखना।।

 

तेरी उच्छ्वास से महक जाता है ये उपवन।

जैसे स्वपनों मे मिले गीत रूबानी लिखना।।

जैसे खिलती हुई कलियो की जवानी लिखना।।


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