Thursday, January 2, 2020

घुटकर यूं मर जाऊंगा

घुटकर यूं मर जाऊंगा

 विपुल लखनवी

रोक नहीं पाऊंगा खुद को कुछ तो मैं लिख जाऊंगा।

नहीं लिखा गर आज देश पर घुटकर यूं मर जाऊंगा॥

जिस माटी पे जनम लिया है उसका मोल चुकाना है।

सोये भारतवासी अपने उनको आज जगाना है।

 

शायद मेरे देश के वासी कविता से कुछ डोलेंगे।

कुछ सुन कर के चुप बैठे पर कुछ न कुछ तो बोलेगें॥

कलमकार होने का अपने अब तो फर्ज निभाना है ॥

कर्ज लिया इस धरती से जो उसको आज चुकाना है॥

 

पर क्या लिखूं बदबू फैली है हर कोने चौराहे पर।

देखो भारत माता रोती गद्दारों और कायर पर॥

कैसी विकृत सोंच यहां पर कोई सोंच नहीं सकता।

धूल लगी इन तलवारों को कोई पोछ नहीं सकता॥

 

सडी गली नाली से बदतर राजनीति होती जाती ।

राष्ट्रप्रेम तो नहीं यहां पर देशद्रोह गाने गाती॥

आतंकी की फांसी पर अब देखो कैसा खेल मचा।

इनको चैन नहीं आयेगा गर थोडा सा भी मेल बचा॥

 

मां बहनों की असमत कैसे सरेआम नीलाम करें।

नहीं वतन प्यारा इनको खुद को ही  बदनाम करें॥

उच्च न्यायालय झूठा दिखता केवल चंद सच्चे बैठे।

झूठी बात सब ही करते खुद ही पैसों पर बिकते ॥


सरे आम जब एक आतंकी कहीं भी मारा जाता है।

कुछ नेता तब शोक मनाते मीडिया भी बिक जाता है॥

सच बोलूं तब शांत लहू भी गरम जोश में आता है।

बलि जाऊं तब अपने वतन पर मन को यही भाता है॥

 

क्यों सम्मान उन्हें देते हो वतन के जो गद्दार यहां।

क्यों उनकी महिमा गाते हो देश द्रोही के यार यहां॥

कुछ तो शर्म करो सोचों कुछ वतन से प्यारा क्या होगा।

इसकी माटी तुमको पाले इससे न्यारा क्या होगा॥

 

जीते जी तुम जी न सके जन्नत में क्या मिल पायेगा।

सच बोलूं ऊपरवाला भी तुम पर लानत खायेगा ।।

अब भी समय नहीं बीता है अब तो कुछ जग जाओ तुम।

भारतवासी कहलाने का कुछ तो फर्ज निभाओ तुम॥


नमक हरामी बंद करो अब मानवता का ध्यान धरों।

नमक हलाली करो देश से अब तो यह अरमान करो॥

यह इतिहास नहीं फूलेगा तेरी खूनी चादर पर ।

देखो अब भी थूक रहा जग जयचंद औ जाफर पर॥

एक कलाम को देखो कैसे कमल बना कैसा महका।

पूरी दुनिया नाज करें क्या सुंदर पक्षी था चहका ॥

पूरी दुनिया रोयी कैसे कमल सरीखा सूख गया।

नाम अदब से लेगी दुनिया चाहे जग वह रूठ गया॥


नहीं कोई हिंदू कहता है नहीं कोई मुस्लिम गाये।

सबका सिर झुक जाता कैसे नाम कलाम का जो आये॥

जब तक चांद सितारे जग में नाम कलाम का आयेगा।

दुनिया उसको ही पूजेगी जग में पूजा जायेगा॥


इसी लिये प्यारे भाई सब भारत के वासी सुन लो।

नहीं धरा है कुछ दहशत में सब हैं नाशी यह सुन लो॥

थी कलाम की वाणी यही मेरा भी अरमान सुनो।

सबसे पहले देश हमारा ऐसा कुछ फरमान बुनो॥


उस अब्दुल को याद करो जो परमवीर कहलाता है।

जिसकी माता के चरणों पर देश पूरा झुक जाता है॥

बनो सिपाही अपने देश के पड जाओ दुश्मन भारी॥

याद करो अशफाकुल्ला फौज अंग्रेजों की हारी॥

 

रहे तिरंगा सबसे ऊपर कसम आज ये खाओ तुम।

देश हमारा सबसे ऊपर बलि न्योछावर जाओ तुम॥

शायद वह भी दिन आयेगें जब आवाम जग जायेगा।

भारत मां का खोया गौरव पुन: इसे मिला जायेगा॥


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